[ad_1]
तंजानिया के राष्ट्रपति जॉन मैगुफुली का हाल ही में निधन हो गया है. वे 61 साल के थे. तंजानिया के उपराष्ट्रपति सामिया सुलुहु हसन ने 17 मार्च 2021 को इस बात की जानकारी दी. आशंका जताई जा रही है कि राष्ट्रपति कोरोना संक्रमित थे. हालांकि, अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है. जॉन मैगुफुली के निधन के बाद तंजानिया के उप राष्ट्रपति सामिया सुलुहु हसन ने 14 दिनों के शोक की घोषणा की है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मैगुफुली बीते दो हफ्तों से सार्वजनिक जीवन से दूर थे. जिसके चलते देश में उनके स्वास्थ्य को लेकर कई कयास लगाए जाने लगे थे. हसन ने देश में 14 दिनों के शोक की घोषणा की है. उपराष्ट्रपति सामिया हसन ने कहा कि प्रिय तंजानिया वासियों, यह घोषणा करना दुखद है कि 17 मार्च 2021 को शाम करीब 6 बजे हमने हमारे बहादुर नेता, राष्ट्रपति जॉन मैगुफुली को खो दिया है.
Tanzanian President John ‘Bulldozer’ Magufuli dies at 61
Read @ANI Story | https://t.co/FswcTVMcb8 pic.twitter.com/U6kd8EjWG8
— ANI Digital (@ani_digital)
March 17, 2021
पहली महिला राष्ट्रपति होंगी हसन
तंजानिया के संविधान के अनुसार, 61 साल की उपराष्ट्रपति हसन राष्ट्रपति के बचे हुए 5 साल के कार्यकाल के लिए पद संभालेंगी. बीते साल चुनाव जीतने के बाद मैगुफुली का यह दूसरा कार्यकाल था. हसन पूर्वी अफ्रीकी राष्ट्र की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी. उन्होंने ब्रिटेन से शिक्षा हासिल की है.
विपक्ष के नेता जिटो काब्वे ने क्या कहा?
निधन की घोषणा होने के बाद विपक्ष के नेता जिटो काब्वे ने कहा कि उन्होंने उपराष्ट्रपति हसन से बात कर संवेदनाएं व्यक्त की हैं. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि हमारे देश के विकास में उनके योगदान के लिए राष्ट्र उन्हें याद रखेगा. खास बात है कि मैगुफुली तंजानिया के पहले राष्ट्रपति हैं, जिनका पद पर रहने के दौरान निधन हो गया.
राष्ट्रपति जॉन मैगुफुली के बारे में
जॉन मगुफुली 2015 में राष्ट्रपति के रूप में पहली बार नियुक्त हुए थे. उन्हें इसके बाद साल 2020 में दोबारा प्रेसिडेंट चुना गया. बीते साल चुनाव जीतने के बाद जॉन मैगुफुली का यह दूसरा कार्यकाल था.
मैगुफुली को साल 1995 में संसद का सदस्य चुना गया था. जॉन मैगुफुली साल 2010 में तंजानिया के मंत्री और दूसरी बार परिवहन मंत्री नियुक्त किए जाने के बाद लोकप्रियता प्राप्त की थी.
सड़क निर्माण उद्योग में भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी तेज नेतृत्व शैली और लड़ाई तंजानियाई लोगों को काफी पसंद आई थी. जिन्होंने बाद में उन्हें ‘बुलडोजर’ का उपनाम दिया गया था.
[ad_2]
Know the Source